Chinnaswamy Stadium stampede: IPL की नई चैंपियन RCB टीम के जश्न में बेंगलुरु में लोगों की काफी भीड़ जमा हो गई।
बेंगलुरु:
आईपीएल 2025 की नई चैंपियन बनी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की ऐतिहासिक जीत का जश्न बेंगलुरु में तब मातम में बदल गया जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ के चलते भगदड़ मच गई। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए। स्टेडियम के बाहर हजारों की संख्या में फैंस इकट्ठा हुए थे, जो अपनी चहेती टीम का जश्न मनाने और खिलाड़ियों की एक झलक पाने के लिए उमड़े थे। http://hindi24samachar.com
नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL विजेता रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) का जश्न बुधवार को उस वक्त बड़े हादसे में बदल गया, जब विजेता खिलाड़ियों के स्वागत में यहां चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जुटी भीड़ में भगदड़ मच गई। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 40 से ज्यादा घायल हैं। इससे पहले महाकुंभ में भी ऐसी ही भगदड़ में कई लोग मारे गए थे। 2015 में सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान दो लोगों की भीड़ के बीच हुई टक्कर में 2,400 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। इसी तरह इंग्लैंड के हिल्सबोरो फ़ुटबॉल स्टेडियम में 1989 में ऐसे ही एक हादसे में 100 लोगों की मौत हो गई थी। 1979 में अमेरिका के ओहियो के सिनसिनाटी में द हू के कॉन्सर्ट में प्रवेश करने के लिए हुई होड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी। जानते हैं भगदड़ क्या होता है? भीड़ के पीछे का साइंस क्या है, भगदड़ की पूरी एबीसीडी समझते हैं।
हादसे की तस्वीर:
भगदड़ का साइंस – कैसे और क्यों होती है ऐसी घटनाएं?
भगदड़ कोई अचानक होने वाली घटना नहीं होती, बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक और भौतिक प्रक्रिया का नतीजा होती है:
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ओवरक्राउडिंग (Overcrowding):
जब किसी स्थान पर उसकी क्षमता से अधिक लोग जमा हो जाते हैं, तो स्पेस की कमी से लोग एक-दूसरे को धक्का देने लगते हैं। -
मानव व्यवहार:
जैसे ही किसी को लगता है कि खतरा है, वह तेजी से निकलने की कोशिश करता है, जिससे बाकी लोग भी घबराने लगते हैं। -
चेन रिएक्शन:
किसी एक व्यक्ति के गिरने से दूसरों का संतुलन बिगड़ जाता है और डोमिनो इफेक्ट की तरह पूरी भीड़ एक-दूसरे पर गिरती चली जाती है। -
पैनिक मोड:
इस अवस्था में व्यक्ति का दिमाग तर्क नहीं करता, वह सिर्फ खुद को बचाने के लिए भागता है – जिससे हादसे और भी भयावह हो जाते हैं।
प्रशासन और आयोजकों की चूक:
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भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात नहीं था।
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आयोजन से पहले कोई स्पष्ट योजना या टिकट व्यवस्था नहीं बनाई गई थी।
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आपातकालीन निकास और बैरिकेडिंग की व्यवस्था नाकाफी थी।
RCB की जीत की खुशी उस समय एक दर्दनाक घटना में बदल गई जब उत्साह और उमंग की भीड़ को सही दिशा नहीं मिल सकी। यह घटना न केवल बेंगलुरु बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि जश्न का भी अपना अनुशासन और योजना होनी चाहिए, वरना वह त्रासदी में बदल सकता है।