लेखक: Rahul
वेबसाइट: Hindi24Samachar.com
प्रकाशन तिथि: 7 जुलाई 2025
परिचय: इंसाफ की लड़ाई की शुरुआत
कोलकाता की एक प्रतिष्ठित लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एक छात्रा के साथ हुए कथित सामूहिक बलात्कार के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला न केवल कानून और व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि भारत के युवाओं में नैतिक पतन और विश्वविद्यालयों की जवाबदेही को भी उजागर करता है।
इस मामले में कॉलेज प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्य आरोपी को कॉलेज से निष्कासित कर दिया है, साथ ही दो अन्य छात्रों को भी कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस कार्रवाई को पीड़िता और समाज दोनों ने एक प्रारंभिक न्याय के रूप में देखा है।
घटना की पृष्ठभूमि: क्या हुआ था उस रात?
घटना मई 2025 के आखिरी सप्ताह की है, जब पीड़िता – एक सेकेंड ईयर लॉ स्टूडेंट – अपने दोस्तों के साथ एक प्राइवेट पार्टी में शामिल हुई थी। यह पार्टी कोलकाता के साल्ट लेक इलाके में एक फ्लैट में आयोजित की गई थी, जहाँ कथित रूप से शराब और ड्रग्स का भी सेवन किया गया।
पीड़िता का आरोप है कि उसी रात उसे नशे में धुत कर उसके सहपाठियों द्वारा गैंगरेप किया गया। घटना के बाद जब उसे होश आया, तो उसके शरीर पर चोटों के निशान थे और मानसिक स्थिति भी अस्थिर थी।
शिकायत दर्ज और मेडिकल रिपोर्ट
पीड़िता ने अगले ही दिन साल्ट लेक पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया। FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और पीड़िता का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट में यौन शोषण की पुष्टि हुई, जिससे मामले को और गंभीरता से लिया गया।
FIR में चार छात्रों के नाम दर्ज किए गए थे, जिनमें से एक – राघव सिंह (काल्पनिक नाम) – को मुख्य आरोपी बताया गया। बाकी तीनों पर सहयोग देने और अपराध छुपाने के आरोप लगाए गए।
कॉलेज प्रशासन की कार्रवाई: निष्कासन और निलंबन
जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया के जरिए सामने आया, कॉलेज प्रशासन पर दबाव बढ़ गया। छात्रों ने कैंपस में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए, और “Justice for the Survivor” की मांग ने आंदोलन का रूप ले लिया।
कॉलेज का आधिकारिक बयान
कॉलेज प्रशासन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा:
“हम इस घटना को अत्यंत गंभीरता से लेते हैं। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर मुख्य आरोपी को कॉलेज से निष्कासित किया जा रहा है। इसके अलावा दो अन्य छात्रों को कॉलेज से स्थायी रूप से निष्कासित कर दिया गया है। चौथे छात्र को फिलहाल निलंबित किया गया है, जब तक पुलिस जांच पूरी नहीं हो जाती।”
इस कार्रवाई को कुछ लोग देर से आया न्याय मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे “न्याय की दिशा में पहला सही कदम” कह रहे हैं।
आंतरिक जांच समिति की भूमिका
कॉलेज ने एक विशेष जांच समिति (SIC) गठित की थी जिसमें वरिष्ठ प्रोफेसर, महिला प्रतिनिधि, और एक रिटायर्ड जज शामिल थे। इस समिति ने 10 दिनों में रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि मुख्य आरोपी का व्यवहार न केवल अनैतिक बल्कि आपराधिक भी था।
इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पार्टी में नशे का आयोजन जानबूझकर किया गया था और पीड़िता को “Target” किया गया था।
छात्र संगठनों और समाज का रुख
घटना के बाद कॉलेज कैंपस में कई छात्र संगठनों ने मिलकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किए। “Nari Suraksha Parishad” और “Student Justice Union” जैसे संगठनों ने कॉलेज प्रशासन से पारदर्शी कार्रवाई की मांग की।
कुछ नारों की झलक:
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“हम चुप नहीं बैठेंगे!”
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“Survivor के साथ है पूरा कैंपस!”
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“Justice delayed is justice denied!”
इन प्रदर्शनों का असर साफ दिखाई दिया, जब कॉलेज प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए छात्रों के निष्कासन की घोषणा की।
मानवाधिकार और महिला संगठनों की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस भेजा और कॉलेज प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। NCW की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा:
“हम हर उस लड़की के साथ हैं जो अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाती है। इस मामले में दोषियों को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए।”
कानूनी कार्रवाई और कोर्ट की कार्यवाही
पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। मुख्य आरोपी राघव सिंह को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। वकीलों के अनुसार, IPC की धारा 376D (गैंगरेप), 328 (नशीला पदार्थ देकर अपराध), और 120B (षड्यंत्र) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
अगली सुनवाई की तारीख: 12 जुलाई 2025
वहीं पीड़िता की ओर से हाईकोर्ट में याचिका भी डाली गई है जिसमें कॉलेज को सुरक्षा उपाय बढ़ाने और “कैंपस सेफ्टी कमेटी” बनाने की मांग की गई है।
मामले से जुड़े कुछ बड़े सवाल
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क्या कॉलेज ने घटना के बाद समय रहते कदम उठाया?
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क्या ऐसी पार्टियों की निगरानी कॉलेज या हॉस्टल प्रशासन करता है?
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पीड़िता की पहचान, सुरक्षा और भविष्य के लिए क्या व्यवस्था है?
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कॉलेज के कैंपस में फ्रीडम के नाम पर होने वाली असामाजिक गतिविधियों को कैसे रोका जाए?
सामाजिक स्तर पर असर: युवा सोच और सिस्टम की सच्चाई
इस घटना ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आज का शिक्षित युवा भी इतना नैतिक पतन का शिकार हो सकता है? क्या कानून पढ़ने वाले छात्र ही कानून तोड़ने लगें, तो समाज किस ओर जाएगा?
लोगों का मानना है कि अब जरूरी है कि:
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हर कॉलेज में एक “Gender Sensitization Cell” अनिवार्य रूप से बने।
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पार्टियों और कॉलेज आयोजनों पर नियंत्रण और निगरानी की जाए।
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मनोवैज्ञानिक परामर्श (counselling) की व्यवस्था पीड़ितों के लिए तुरंत की जाए।
पीड़िता की चुप्पी टूटी: “मैं अकेली नहीं हूं”
हाल ही में पीड़िता ने एक NGO के जरिए एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा:
“मैं अपने साथ हुई बर्बरता को कभी भूल नहीं पाऊंगी, लेकिन मुझे खुशी है कि आज आवाज़ उठाने से डर नहीं लगता। मैं जानती हूं – मैं अकेली नहीं हूं।”
निष्कर्ष: यह अंत नहीं, शुरुआत है
कोलकाता लॉ स्टूडेंट रेप केस एक बहुत ही दुखद लेकिन आंखें खोल देने वाली घटना है। कॉलेज द्वारा की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई से यह जरूर संदेश गया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं।
अब ज़रूरत है कि समाज, शिक्षा संस्थान और सरकार – सभी मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ छात्र-छात्राएं न सिर्फ शिक्षा, बल्कि सुरक्षा और सम्मान के साथ पढ़ सकें।