ऑपरेशन महादेव का उद्देश्य
कश्मीर घाटी वर्षों से आतंकवाद और उग्रवाद की चपेट में रही है। पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठनों ने घाटी में अस्थिरता फैलाने के लिए कई बार घुसपैठ की कोशिशें की हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ने मिलकर ऑपरेशन महादेव शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य आतंकवादियों का खात्मा, उनकी सप्लाई चेन को तोड़ना और स्थानीय युवाओं को आतंकी संगठनों में शामिल होने से रोकना है।
ऑपरेशन की शुरुआत और रणनीति
ऑपरेशन महादेव को 2024 के अंतिम चरण में एक बड़े पैमाने पर चलाया गया। इसमें आधुनिक तकनीक, जैसे- ड्रोन निगरानी, सैटेलाइट डेटा और नाइट विजन डिवाइस का उपयोग किया गया। इस ऑपरेशन में
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काउंटर-इंसर्जेंसी यूनिट्स (CIU)
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राष्ट्रीय राइफल्स (RR)
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स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG)
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CRPF के क्विक एक्शन टीम (QAT)
को शामिल किया गया।
सेना ने विशेष रूप से उन इलाकों को टारगेट किया जहाँ आतंकवादियों की गतिविधियां ज्यादा थीं, जैसे- पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग, बारामूला और हंदवाड़ा।
लोकल इंटेलिजेंस और नागरिकों की भूमिका
ऑपरेशन महादेव में स्थानीय लोगों की मदद से भी महत्वपूर्ण सफलता मिली। कई जगहों पर लोगों ने आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी सेना को दी। इससे यह साफ होता है कि घाटी में एक बड़ा तबका अब हिंसा से दूर रहकर शांति चाहता है।
ऑपरेशन महादेव की अब तक की सफलता
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दर्जनों आतंकियों का खात्मा किया गया, जिनमें कई टॉप कमांडर भी शामिल थे।
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बड़ी मात्रा में हथियार, गोलाबारूद और ड्रग्स बरामद किए गए।
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आतंकी संगठनों की फंडिंग नेटवर्क को ध्वस्त करने में बड़ी सफलता मिली।
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घुसपैठ के कई प्रयास नाकाम किए गए।
आतंकवाद पर पड़ने वाला असर
ऑपरेशन महादेव के बाद घाटी में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ, पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि इस ऑपरेशन ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करना अभी भी चुनौती है। सीमा पार से लगातार घुसपैठ के प्रयास, सोशल मीडिया के जरिए युवाओं का ब्रेनवॉश और फंडिंग नेटवर्क को रोकना सेना और सुरक्षा एजेंसियों के लिए प्राथमिक कार्य बना हुआ है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन महादेव सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि कश्मीर के लोगों को शांति और विकास का भरोसा दिलाने का प्रयास है। भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियां लगातार यह संदेश दे रही हैं कि आतंकवाद को खत्म करके ही कश्मीर का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल बनाया जा सकता है।