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घाना के राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित हुए प्रधानमंत्री मोदी: भारत-घाना संबंधों में नया अध्याय

परिचय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाल ही में अफ्रीकी देश घाना के राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया, जिससे भारत और घाना के बीच के मजबूत होते रिश्तों को एक नई दिशा मिली है। यह सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि दो देशों की साझा साझेदारी, मित्रता और भविष्य की रणनीतिक नीतियों की झलक है। इस मौके पर दोनों देशों ने कई अहम समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक मंच पर भारत-घाना सहयोग को और गहराई देंगे।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि यह सम्मान क्यों महत्वपूर्ण है, भारत-घाना के बीच ऐतिहासिक और वर्तमान संबंध कैसे हैं, और किन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।


PM मोदी को मिला घाना का राष्ट्रीय सम्मान

प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान घाना के राष्ट्रपति नाना अकुफो-एड्डो द्वारा प्रदान किया गया। यह सम्मान भारत के प्रति घाना की कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है। यह अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की बढ़ती भूमिका और प्रभाव का भी परिचायक है।

यह पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय नेता को अफ्रीकी देश ने इस तरह के उच्चतम नागरिक सम्मान से नवाजा हो, लेकिन यह घटना इसलिए खास है क्योंकि यह सम्मान ऐसे समय पर मिला है जब भारत वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज बनकर उभरा है। PM मोदी के “वसुधैव कुटुम्बकम्” और “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” जैसे दृष्टिकोणों को घाना जैसे देशों ने खूब सराहा है।http://hindi24samachar.com


भारत और घाना के ऐतिहासिक संबंध

भारत और घाना के संबंध 1957 से हैं, जब घाना ने ब्रिटिश उपनिवेश से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। भारत सबसे पहले उन देशों में से था जिन्होंने घाना को स्वतंत्रता की बधाई दी थी और राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। घाना के पहले राष्ट्रपति क्वामे एनक्रूमा और भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच गहरी दोस्ती थी।


भारत-घाना के बीच हालिया समझौते

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान, भारत और घाना के बीच कई रणनीतिक और आर्थिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। ये समझौते दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेंगे और द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। इनमें प्रमुख हैं:

1. स्वास्थ्य सेवा में सहयोग

दोनों देशों के बीच टेलीमेडिसिन, आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर सहमति बनी है।

2. डिजिटल इंडिया और घाना डिजिटल अभियान

घाना, भारत के डिजिटल इंडिया मॉडल से प्रेरित होकर अपने यहां भी डिजिटल अवसंरचना को विकसित कर रहा है। इस संदर्भ में IT और डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर सहयोग की घोषणा हुई है।

3. ऊर्जा और हरित विकास

भारत ने घाना को सौर ऊर्जा संयंत्र और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्रों में तकनीकी सहायता देने का प्रस्ताव दिया है। ISA (International Solar Alliance) के अंतर्गत सहयोग को बढ़ाया जाएगा।

4. शिक्षा और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम

भारतीय विश्वविद्यालयों और घाना के शैक्षणिक संस्थानों के बीच छात्र और शिक्षक आदान-प्रदान बढ़ाने पर सहमति बनी है।

5. व्यापार और निवेश सहयोग

भारत और घाना के बीच व्यापार को सरल बनाने के लिए Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) और निवेश सुरक्षा समझौते पर बातचीत हुई है।


भारत-घाना व्यापारिक रिश्ते

घाना, भारत के लिए पश्चिमी अफ्रीका में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। दोनों देशों के बीच व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है:

भारत की कई बड़ी कंपनियाँ जैसे कि ONGC Videsh, Bharti Airtel, Tata Motors और Mahindra पहले से ही घाना में मौजूद हैं और निवेश कर रही हैं।


घाना में भारतीय समुदाय और सांस्कृतिक जुड़ाव

घाना में लगभग 10,000 भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो वहां के व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। भारतीय संस्कृति, योग और बॉलीवुड फिल्मों का वहां के लोगों पर गहरा प्रभाव है।

भारत द्वारा आयोजित किए गए योग दिवस, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन और सांस्कृतिक महोत्सवों को घाना में जबरदस्त सराहना मिली है। इससे दोनों देशों के बीच people-to-people connect मजबूत हुआ है।


समानता और सहयोग का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारत और घाना दोनों विकासशील देश हैं, और वे जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और डिजिटल समावेशन जैसे मुद्दों पर मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने अफ्रीका के देशों की आवाज़ को वैश्विक मंच पर महत्व देने की बात भी दोहराई।


निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी को घाना द्वारा दिया गया राष्ट्रीय सम्मान न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के वैश्विक कद में बढ़ोतरी और अफ्रीका के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि भी है। भारत और घाना के बीच हुए समझौते और सहयोग के नए आयाम निश्चित रूप से दोनों देशों के नागरिकों को लाभ पहुंचाएंगे।

आने वाले वर्षों में जब भारत और अफ्रीकी देश वैश्विक मंच पर एक साथ खड़े होंगे, तब यह दौरा और सम्मान एक ऐतिहासिक पड़ाव के रूप में देखा जाएगा।


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